उठो जागो और तब तक नही रुको,जब तक लक्ष्य ना प्राप्त हो जाए : स्वामी विवेकानंद, राष्ट्रीये युवा दिवस एवं स्वामी विवेकानंद जयंती विशेष , 9 अनमोल वचन

311

अपना जीवन एक लक्ष्य पर निर्धारित करो।
अपने पूरे शरीर को उस एक लक्ष्य से भर दो।
और हर दूसरे विचार को अपनी ज़िन्दगी से निकाल दो।
यही सफलता की कुंजी है।

इस वचन का अगर हम अर्थ समझना चाहे तो वो हमसे ये कहना चाहते हैं कि हमें अपना पूरा जीवन एक लक्ष्य को पाने के लिए लगा देना चाहिए। हमें उस लक्ष्य को पाने के लिए अपना पूरा शरीर, और ताकत झोक देनी चाहिए। इतना ही जब हम अपने लक्ष्य की और बढ़ रहे हो तब मन में और दिमाग में आने वाले हर दूसरे विचार को अपने दिल से और अपनी ज़िन्दगी से पूरी तरह बाहर निकाल दो।

एक इंसान को अपने लक्ष्य पर इस प्रकार केंद्रित रहना चाहिए जिस प्रकार अर्जुन को तीर चलाते समय सिर्फ मछली की आंख दिखाई देती थी। बाकी वातावरण में मौजूद सभी चीज़ें मनुष्य के लिए अप्रासंगिक हो जानी चाहिए। स्वामी विवेकानंद के 9 अनमोल वचन का यह वचन जीवन में सफलता पाने का राम बाण तरीका है।

किसी दिन, जब आपके सामने कोई समस्या ना आए।
आप सुनिश्चित हो सकते है कि आप गलत मार्ग पर चल रहे है।

इस वचन के जरिए वो कहना चाहते हैं कि व्यक्ति जब अपनी मंजिल पाने में लगा होता है लेकिन उस मंजिल को पाने के रास्ते में उसे कोई कठिनाई न आए, या कोई परेशानी न आए, तो उसे समझ जाना चाहिए हम जिस राह पर है या मंजिल पाने के लिए जो रास्ता अपना रहे हैं वो सही नही है, वो सरासर गलत है।

बाधाएं और बुरा समय हर व्यक्ति के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। मनुष्य अगर प्रगति के मार्ग पर चल रहा है तो वो आसान नहीं होगा, अन्यथा वो सफलता कोई भी प्राप्त कर चूका होता। विकास असुविधाजनक होता है और अगर कुछ नया नहीं करा, तो कुछ हासिल नहीं करा। स्वामी विवेकानंद के 9 अनमोल वचन का यह वचन इंसान के मन को सफलता के रास्ते के लिए तैयार करता है।

givni_ad1

ज़िन्दगी का रास्ता बना बनाया नही मिलता है, स्वयं को बनाना पड़ता है।
जिसने जैसा मार्ग बनाया, उसे वैसी ही मंजिल मिलती है।

यह वचन के जरिए हमें ये सिखा रहे हैं कि इन्सान को अपनी मंजिल तक पहुंचने का रास्ता खुद बनाना होता है। किसी को भी बना बनाया रास्ता नही मिलता। जो भी जैसा रास्ता बनाएगा वो वैसी ही मंजिल पाएगा।

बहुत ही प्रचलित मुहावरा है की जो जैसा बोएगा, वो वैसा फल पाएगा। ज़िन्दगी में मनुष्य को सामर्थ्य बनना चाहिए और इसी सामर्थ्य से इंसान को अपनी मंजिल का रास्ता तय करना चाहिए। अगर किसी के सहयोग से आपको आपका लक्ष्य प्राप्त भी हो जाता है तो आपको उसकी कीमत नहीं महसूस होगी और आप सदा अपने पर संदेह करेंगे।

ब्रह्माण्ड की सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं।
वो हम है जो अपनी आँखों पर हाथ रख लेते हैं और फिर रोते हैं कि कितना अंधकार है।

यह विचार के अनुसार सभी मैं कुछ न कुछ गुण होते हैं, किसी ने किसी चीज में वो कुशल होते हैं लेकिन उन्हें इस बात का अंदाजा नही होता है और उसका इस्तेमाल सफलता पाने के लिए नही करते और हमेशा रोते रहते हैं कि हमें तो कुछ नही आता।

उनके अनुसार शिक्षा का भी यही उद्देश्य है – “शिक्षा स्वयं के भीतर पूर्णता की अभिव्यक्ति है”। और मनुष्य का मन ही उसकी मर्यादा तय करती है। जो व्यक्ति अपने अंदर छुपी इस शक्ति को खोज लेता है और उसे सही दिशा में प्रयोग करता है, उसे सफलता निश्चित हासिल होती है।

स्वामी विवेकानंद के 9 अनमोल वचन का यह वचन मनुष्य को अपनी शक्ति का अहसास दिलाने की कोशिश है।

उठो जागो और तब तक नही रुको,
जब तक लक्ष्य ना प्राप्त हो जाए।

इस पांचवे विचार से विवेकानंद जी सभी को जागरूक होने के लिए कह रहे हैं। वो कह रहे हैं कि सोये मत रहा, उठो, जागो और तब तक पूरी मेहनत करते रहो जब तक तुम्हें सफलता न मिल जाए।

आज के युग की सबसे बड़ी दिक्कत यह है की मनुष्य को सफलता तुरंत चाहिए और जब ऐसा नहीं होता तो उसे पीड़ा होती है और वो अपने लक्ष्य को छोड़ कर इधर उधर भटकने लगता है। सफलता एक निरंतर प्रयास का दूसरा नाम है और जो मनुष्य यह समझ लेता है उसी जीवन में काम कठिनाइयां मिलती है।

स्वामी विवेकानंद के 9 अनमोल वचन का यह उद्धरण मनुष्य को दृढ़ता सिखाता है।

बस वही जीते हैं जो दूसरों के लिए जीते हैं।
इस उद्धरण से स्वामी जी हमें सिखा रहा है कि व्यक्ति को सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए ही काम नही करना चाहिए, कभी कभी मानव जाति के कल्याण के लिए भी काम करना चाहिए। वो कहते हैं जो दूसरों की मदद करते हैं और उनका भला करने के लिए काम करते हैं असली जीवन वो जी रहे हैं लेकिन जो सिर्फ अपना स्वार्थ देखते हैं और कभी भी किसी की मदद नही करते उनका जीवन व्यर्थ है।

स्वामी विवेकानंद के 9 अनमोल वचन का यह उद्धरण मनुष्य को सच्चे धर्म और मानवता का पाठ सिखाता है।

एक समय में एक काम करो,
और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमें डाल दो
और बाकि सब कुछ भूल जाओ।

इस शैक्षिक विचार के जरिए स्वामी से कह रहे हैं कि व्यक्ति को एक समय में एक ही काम पर ध्यान देना चाहिए और अपना पूरा ध्यान उसी एक काम पर लगाए ताकि अपनी पूरी ताकत और मेहनत एक ही मंजिल की ओर हो।

आज का युग बहु कार्यण को एक ताकत की तरह देखता है परन्तु ये लाभ से ज्यादा हानि पहुँचता है। अगर मन और बुद्धि एक कार्य पर एकाग्रता से नहीं रहता तो उस कार्य के सफल होने की बहुत कम उम्मीद है।

जितना बढ़ा संघर्ष होगा जीत उतनी ही बढ़ी होगी।

स्वामी विवेकानंद के 9 अनमोल वचन में इस विचार से स्वामी जी ने लोगों को यह सिखाने का प्रयास किया है कि यदि व्यक्ति को मंजिल पाने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ रहा है तो यह संघर्ष उन्हें उच्चाईयों की और ले जाएगा।

सफलता का भी अपना एक स्तर होता है और मनुष्य स्वं यह निर्धारित करता है की वह कितना मुश्किल और बड़ा लक्ष्य हासिल कर सकता है। कुछ सफलताओं के लिए कई गुना ज्यादा संघर्ष चाहिए और यही संघर्ष इंसान को बाकी इंसानों से अलग करता है।

दिन में आप एक बार स्वयं से बात करे,
अन्यथा आप एक बेहतरीन इंसान से मिलने का मौका चूक जाएंगे।

नौवां विचार यह बताता है कि व्यक्ति को पूरे दिन में एक बार अपने आप से बात करने के लिए निकलना चाहिए। जो व्यक्ति चिंता न करके चिन्तन करता है वो एक बेहतर इंसान बनता है क्यूंकि शांति से अपने आप को टटोलने से और अपने आप से बात करने से हमें अपने उन गुणों के बारे में पता चलता है जो हमें मंजिल तक पहुचने में मदद करता है।

स्वामी विवेकानंद के 9 अनमोल वचन का यह उद्धरण मनुष्य को आत्मनिरीक्षण का महत्व सिखलाता है।